How Farming Led to Earning Lakhs: गुजरात के पाटन जिले के राकेशभाई डेव पिछले नौ सालों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे उनकी आय दोगुनी हो गई है. 35 बीघा जमीन पर अनाज, दालों, प्याज और लहसुन जैसी सब्जियों कि प्राकृतिक खेती से उन्होंने अपनी जमीन को उर्वर और समृद्ध बना लिया है. राकेशभाई ने गाय आधारित खेती अपनाकर विषरहित अनाज कि उपलब्धता सुनिश्चित कि है. उनके इस सफल प्रयास को देखकर गांव के अन्य किसान भी प्राकृतिक खेती कि ओर रुख कर रहे हैं. राकेशभाई का कहना है कि वह पूरी जिंदगी प्राकृतिक खेती करेंगे.
प्राकृतिक खेती में गायों का योगदान
राकेशभाई डेव (Rakeshbhai Dave) ने प्राकृतिक खेती के लिए आठ देशी गायें पाली हैं, जिनका गोबर और गौमूत्र वह कृषि फसलों में इस्तेमाल करने के लिए ठोस जीवामृत बनाने में उपयोग करते हैं. यह ठोस जीवामृत गाय के गोबर और मूत्र के साथ अन्य पौधों से मिलाकर तैयार किया जाता है. राकेशभाई प्रत्येक 15 दिनों के अंतराल पर गाय के गोबर को सुखाकर इसे इकट्ठा करते हैं, और लगभग 35 दिनों में यह जीवामृत तैयार हो जाता है.
आपको बता दे कि यह मिश्रण फसल(Mixed Farming) की स्थिति के अनुसार 15 से 21 दिन तक दिया जाता है, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होती है. इस प्राकृतिक और पारंपरिक उपाय से राकेशभाई की खेती में बेहतरीन परिणाम आ रहे हैं और उनकी भूमि भी उर्वर और समृद्ध बनी हुई है. उनका मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल फसलें, बल्कि मिट्टी भी स्वस्थ रहती है.
इस तरह करते है खेती है कमाई
राकेशभाई डेव ने पिछले दो सालों से सहजन, रयाडो और गेहूं कि खेती शुरू कि है और इस दौरान उन्होंने दो हजार सहजन पौधे लगाए हैं. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सहजन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, इसलिए उन्होंने इस फसल पर विशेष ध्यान दिया. वह सहजन के पत्ते और सींग एक हर्बल कंपनी को बेचते हैं, जो इनसे पाउडर बनाती है. इस खेती से उन्हें सालाना एक लाख रुपये से अधिक कि अतिरिक्त आय हो रही है. सहजन की सब्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी पसंदीदा है, जिन्होंने इसे लेकर अपनी बात साझा की थी.