sourcing

Restaurants in Delhi
Recipes, sourcing

8 Must-Visit New Restaurants in Delhi for August-September 2024

Explore a diverse culinary scene with these new hotspots, offering everything from luxurious dining in opulent settings to vibrant nightlife and cozy community spaces. The culinary landscape is changing each day, and new hotspots across Delhi NCR are realizing the light of change almost weekly. The capital region is excitedly thronging to much more of this ambience of new restaurant openings in August, September, and ahead—time to dish out a whole new dining experience. From a relaxed cafe to an energized bar serving excellent food, the new restaurants in Delhi-NCR have everything in the offering. Here’s a look at the must-go-to restaurants that have recently opened in the city: 1. Begam, Noida Begam in Gardens Galleria Mall, Noida, is a majestic 5,000 sq. ft. space that whisks one away into the midst of royalty. This Turkish and Mediterranean restaurant’s interiors are exuberant and lavish, reminiscent of Mughal and Rajasthani palaces. Equally royal is the menu, with dishes such as Beyati Kebab, where dishes from age-old traditions have been put through the test of modern culinary excellence. Where: Building No. 105, opposite Kidzania, Gardens Galleria Mall, Sector 38, Noida When: 12 Noon to 1:00 AM Cost: INR 3,500 for two people (approx.), without alcohol 2. Arigato, Gurgaon Get ready to be transported to the brilliant energy of Tokyo nights with Arigato, the first-ever progressive Asian House in Gurgaon. Brainchild of Avantika Sinha Bahl, the creative force behind Kampai and Basque, this high-energy venue takes guests on a gourmet journey across various Asian cuisines amidst lively ambiance. Where: Tower R2, M3M International Financial Centre, Ground floor, Golf Course Ext Rd, Sector 66, Gurugram When: 12 PM to 1 AM Cost: INR 3,500 for two people (approx.), without alcohol 3. BeeYoung Brewgarden Malviya Nagar sees an addition to its hood with the largest outlet of BeeYoung, the iconic beer brand—the 5,000 sq ft ‘BeeYoung Brewgarden’. The boisterous vibe and a wide range of freshly brewed beers complete this microbrewery. Delish food and European decor make up for an ideal place to relax. Where: Block C, Panchsheel Park South, Malviya Nagar When: 12 Noon – 12 Midnight Cost: INR 2,000 for two people (approx.), with alcohol 4. The Salt Cafe, Preet Vihar The Salt Cafe at Preet Vihar stands as a paradise for food lovers. With over 200 dishes from various cuisines, it promises an array of finger-licking North Indian, Mughlai, Continental, Asian, and Italian delicacies. The Bohemian-themed terrace and the contemporary interior sitting sets the mood just about right. Where: Complex 19 & 20, Local Shop, 2nd A: Block, Acharya Nagraj Marg, Preet Vihar When: 12 PM- 11:30 PM Cost: INR 2,700 for two people (approx.), without alcohol 5. Resaca, Pusa Road Located at Pusa Road, Resaca has quickly become the Hottest place in the city for party animals to hang out. The place has two different vibes to offer. To its customers – the high-on-energy Resaca Playground and the lazy Resaca Aereo terrace. With its heady cocktails and succulent food, Resaca promises nights to remember. Where: No. 7, 3rd Floor, Building, Pusa Rd, Block 11, WEA, Karol Bagh When: 5 PM – 2 AM Cost: INR 2,000 for two people (approx.), with alcohol 6. Kamei, South Delhi Kamei is fine dining luxury restaurant and cocktail bar in South Delhi that takes you through a culminating experience of East Asia, marrying classic and eclectic dishes from the length and breadth of China, Japan, and Thailand. Where: Eldeco Centre, Hauz Rani, Malviya Nagar When: 12 PM – 9 PM 7. Thanks & Beyond, Nehru Place Thanks & Beyond is the newest offering in the Priyank Sukhija stable and looks all set to be a different experience in Epicuria, Nehru Place. The large space is divided into three different zones – Thanks, a coffee and cocktail heaven; the quiet Tuscan-themed restaurant, &; and a high-energy bar, Beyond. Where: Epicuria, Nehru Place When: 10 AM to 1 AM Cost: INR 3,000 for two people (approx.) without alcohol 8. Neighbourly, Gurgaon Neighbourly by Cafe Delhi Heights is your newest community space—cozy and perfect for spending some great quality time with your people. Located at M3M 65th Avenue, this one’s perfect for a laid-back vibe in Gurgaon. Where: M3M, 65th Avenue, Sector 65, Gurugram When: 12 Noon – 12 Midnight

Kitchen Tips
sourcing, Conditions

Kitchen Tips : मिर्च काटते समय हाथों में होती है तेज जलन, तो फॉलो करें ये टिप्स

Kitchen Tips : हरी मिर्च बहुत तीखी होती है जब इसे हाथ से काटा जाता है तो हाथों में जलन भी होने लगती है। अगर आपने गौर किया हो तो पता चलेगा कि आपके हाथ में केवल जलन ही नहीं बल्कि गुनगुनाहट भी महसूस होती है। जिन लोगों के घर में स्पाइसी खाना बनता है ऐसे में महिलाओं को काफी परेशानी होती है। हरी मिर्च काटने की वजह से उंगलियों में तेज जलन मच जाती है। अगर आपको भी किचन में रहते समय यह परेशानी होती है तो नीचे दिए गए टिप्स से हरी मिर्च की जलन को आसानी से खत्म कर सकते हैं। महिलाओं को ज्यादातर अपना समय किचन में बिताना पड़ता है उनके लिए यह टिप्स बहुत काम का है। बर्फ अगर हरी मिर्च काटते समय आपके हाथों में तेज जलन हो रही है तो आपको बर्फ का टुकड़ा लगा लेना चाहिए। अगर आप बर्फ का टुकड़ा लगती है तो इससे काफी हद तक हाथों में जलन महसूस नहीं होती है। बर्फ का टुकड़ा लगाने से हाथ सुन्न पड़ जाता है और किसी तरह की मोमेंट महसूस नहीं होती। अगर आप हरी मिर्च काट रही है, तो इसे काटने के तुरंत बाद आपको आटे में हाथ डाल देना चाहिए इससे जलन से राहत मिलती है। एलोवेरा एलोवेरा बड़े काम की चीज है यह आपकी स्किन केयर के लिए ही नहीं बल्कि आपकी हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। अगर आप एलोवेरा का इस्तेमाल हाथों की जलन को खत्म करने के लिए करती है तो यह बहुत अच्छा उपाय है। किचन में हरी मिर्च काटने की वजह से होने वाली जलन बहुत तेज होती है जो परेशान कर देती है। अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है तो आपको यह सारे तरीके फॉलो करने चाहिए। साबुन का यूज अगर आप किचन में ज्यादा समय बिताती है और तरह-तरह के डिश बनाती हैं, तो हरी मिर्च की जरूरत तो पड़ती ही होगी हरी मिर्च को काटते समय हाथों में होने वाली जलन को खत्म करने के लिए तुरंत हाथ धो लेना चाहिए। जब आप हाथ धोती है तो आपको ध्यान रखना है कि आपको साबुन से अच्छी तरह से हाथ धोना है। यह एक ऐसा उपाय है जिससे हाथों में होने वाली जलन से तुरंत राहत मिल जाती है। प्लास्टिक ग्लव्स किचन में काम करते समय आपको अपने हाथों में ग्लव्स पहन कर रखना चाहिए इसे किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है और किचन में रखी कुछ चीजों के संपर्क में आने से आपको परेशानी होती है, तो यह तरीके को जरूर अपनाना चाहिए। प्लास्टिक के ग्लव्स पहनकर आपको हरी मिर्च काटने चाहिए इससे आपके हाथों में बिल्कुल भी जलन नहीं होती है।

Aloo Poori Recipe
Recipes, sourcing

Aloo Poori Recipe : ये है आलू पूरी बनाने का सही तरीका, क्रिस्पी बनेगी पूरियां देख लीजिए रेसिपी

Aloo Poori Recipe : अगर आप घर आए मेहमानों के लिए करी टेस्टी पुरी बनाना चाहती है तो इसके लिए नीचे खास रेसिपी बताई गई है। अक्सर ऐसा होता है कि घर आए मेहमान ज्यादा तेल खाना पसंद नहीं करते हैं इस बात को ध्यान में रखते हुए आप स्वादिष्ट पुड़िया बना सकती हैं। कई बार ऐसा होता है की पूरियां को मिलते समय आलू बाहर निकल आता है इसके लिए आपको एक परफेक्ट तरीका बताया जाएगा जिससे यह समस्या नहीं आएगी। घर में हर एक ऑक्शन पर यह आलू पूरी की डिश खाई जाती है बच्चों को भी यह बहुत पसंद होता है। तो चलिए जानते हैं आलू पुरी बनाने की खास रेसिपी के बारे में। सामग्री आटा तेल नमक सूजी गर्म पानी धनिया पाउडर आलू लाल मिर्च हल्दी अजवाइन जीरा विधि आलू की पूरी बनाने के लिए सबसे पहले एक कप गर्म पानी ले लीजिए और इसमें सूजी डाल दीजिए। अब आपको इसे अच्छी तरह मिलना है। सभी मिश्रण को अच्छी तरह से मिलने के बाद आटे को 10 मिनट के लिए ऐसे ही रख दीजिए। दूसरे स्टेप में आपको अच्छी तरह से दो आलुओं को मैश कर लेना है और इसमें धनिया पाउडर लाल मिर्च पाउडर चुटकी भर हल्दी जीरा आधा चम्मच अजवाइन और नमक मिलाना है। सभी चीजों को डालने के बाद आपकी पूरी का स्वाद और भी बढ़ जाएगा। तीसरी स्टेप में आपकी पूरी बनकर तैयार हो जाती है इसके लिए आपको गेहूं का आटा लेकर अच्छी तरह से गूंथ लेना है उसकी लोई बना लेनी है और इन्हें कर लेना है। इस तरह से आपकी स्वादिष्ट परी बनकर तैयार हो जाएगी और मेहमान इसे चाव से खाएंगे। पुरी बनाने की यह रेसिपी बहुत खास है इस तरह जो आप इनग्रेडिएंट इसमें डालते हैं उसे आपकी पुड़ियो का स्वाद बढ़ जाता है। अगर आप इस विधि से पुड़ियों को बनाती है तो घर आए मेहमान भी खाने के बाद आपकी तारीफ जरुर करेंगे।

Vastu Tips for Kitchen
Recipes, sourcing

Vastu Tips for Kitchen : इस तरीके से पा सकते है रसोई के वास्तु दोष से छुटकारा, अपनाये तरीका

Vastu Tips for Kitchen : हमारे घर में मंदिर के बाद सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हमारी किचन होती है। किचन को माँ अन्नपूर्णा का वास माना जाता है, इसलिए इसे पूजास्थल का भी दर्जा दिया जाता है। वास्तु शास्त्र में रसोई से संबंधित कई नियम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। लेकिन अगर रसोई में वास्तु दोष लग जाता है, तो यह हमारे घर के लिए शुभ नहीं होता है और हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको रसोई के वास्तु दोष से बचाने के लिए कुछ खास उपाय बताएंगे। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में: रसोई के वास्तु दोष से बचने के उपाय 1. रसोई की दिशा: रसोई को हमेशा अग्नि कोण यानी पूर्व-दक्षिण दिशा के मध्य में रखें। अगर यह संभव न हो, तो पूर्व-दक्षिण दिशा में एक लाल रंग का बल्ब लगाएं और इसे सुबह-शाम जलाएं। ऐसा करने से रसोई का वास्तु दोष दूर होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। 2. मुख्य द्वार के सामने रसोई: अगर आपकी रसोई मुख्य द्वार के सामने है, तो यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में मुख्य द्वार और रसोई के बीच में पर्दा लगाएं। यह सरल उपाय वास्तु दोष को कम करता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखता है। 3. स्वास्तिक का चिन्ह: रसोई घर की पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह जरूर बनाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और घर में शांति बनी रहती है। स्वास्तिक का चिन्ह लगाने से घर की सारी बुरी शक्तियां बाहर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है। 4. साफ-सफाई: रसोई को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें। रसोई की सफाई से भी वास्तु दोष कम होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जूठे बर्तन और गंदगी को रसोई में न छोड़ें। 5. रसोई के रंग: रसोई में हल्के रंगों का इस्तेमाल करें। सफेद, हल्का पीला और हरा रंग रसोई के लिए शुभ माने जाते हैं। ये रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर में खुशहाली लाते हैं। इन आसान और प्रभावी उपायों को अपनाकर आप रसोई के वास्तु दोष से बच सकते हैं और अपने घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रख सकते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में सही दिशा, सही रंग और साफ-सफाई का विशेष महत्व है। इन नियमों का पालन करने से आपके घर में हमेशा शांति, खुशहाली और समृद्धि बनी रहेगी।

Indian Snacks
Recipes, sourcing

Indian Snacks : परिवार वालों को खिलाएं चटपटी मूंग दाल की कचौड़ियां, यहां है आसान रेसिपी

Indian Snacks : मानसून का एक ऐसा मौसम है जब चाय पकौड़े फेमस हो जाते हैं। अगर आप भी मानसून के इस सीजन को एंजॉय करना चाहते हैं, तो अपने परिवार वालों के साथ मूंग दाल की कचोरी इंजॉय कर सकते हैं। अगर आप मूंग दाल की कचौड़ी मेहमानों के लिए भी बनना चाहती है तो यह बेस्ट ऑप्शन रहेगा। कचोरी कई तरह की होती है जो खाने में बहुत टेस्टी लगती है। मूंग दाल की कचोरी सिर्फ खाने में भी स्वादिष्ट नहीं है बल्कि उसे बनाना भी बहुत आसान है। अगर आप मेहमानों के लिए कुछ बनाने को लेकर कन्फ्यूज है तो यह खास रेसिपी ट्राई कर सकती हैं। सामग्री मूंग दाल नमक मैदा तेल घी सौंफ जीरा हींग मसाले विधि अपनी दाल के पकोड़े को आपका पूरा परिवार चाव से खाएगा। इसके अलावा अगर आप चाहे तो मेहमानों के लिए भी इस खास रेसिपी को आसानी से तैयार कर सकती हैं। मूंग दाल का पकोड़ा बरसात के मौसम में फेमस होता है। मूंग दाल का पकोड़ा बनाने के लिए सबसे पहले आपको एक कटोरी में मैदा ले लेना है। अब इसमें नमक और घी मिला देना है। इसके बाद इसे अच्छी तरह से गूंथना है और कुछ समय के लिए छोड़ देना है। जब आप मैदा में नमक और घी मिलाती हैं तो इसका टेस्ट काफी बढ़ जाता है। अब आपको एक कढ़ाई में घी डालकर गर्म कर लेना है जब आपका घी गर्म हो जाए तो इसमें सौंफ जीरा हींग और कुछ मसाले का तड़का लगा लीजिए। यह आपकी कचौड़ी में स्वाद को बढ़ाने का काम करता है। जब आपका तड़का तैयार हो जाए तो आप मूंग दाल के पेस्ट को कढ़ाई में दाल दीजिए। इसके बाद इसे गोल्डन होने तक अच्छी तरह से फ्राई करते रहें। जब इसमें से अच्छी खुशबू आने लगे तो गैस को बंद कर दीजिए। अब गैस बंद करने के बाद इस मिक्सचर को ठंडा होने के लिए नीचे रख दीजिये। अब मैदे की लोई बना लीजिए इसके बाद मूंग दाल के पेस्ट को इसमें अच्छी तरह से भर दीजिए। ध्यान रहे कि आपको दाल को अच्छी तरह से कर करना है यह कढ़ाई में फटे नहीं। अब आपको गर्म तेल में इन कचौड़ियों को क्रिस्पी होने तक टाल लेना है इस तरह से आपकी कचौड़ी बनकर तैयार हो जाएगी। अब आप इसे मेहमानों या फिर परिवार को सर्व कर सकती हैं।

Fat Loss Journey
Conditions, sourcing

Fat Loss Journey : मोटापे को इस तरह करें दूर, लोग देखते रह जाएंगे पतली कमर

Fat Loss Journey : आजकल लोगों की लाइफस्टाइल इतनी खराब हो गई है कि खाने पीने का टाइम टेबल और खाने पीने की चीजें तीतर-भीतर हो गई है। जब आप बाहर की चीज खाना शुरू कर देते हैं तो मोटापा बढ़ जाता है। ऐसे में यह आपके लिए बहुत नुकसानदायक है मोटापा अपने साथ गंभीर बीमारियों को लेकर आता है। अगर आपकी भी वजन घटाने की सभी कुक्षी से नाकाम रह चुकी है तो आपको अपनी डाइट में बदलाव कर लेना चाहिए। अगर आप रोजाना एक्सरसाइज करते हैं तो यह अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ आपको एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए एक्स्ट्रा एफर्ट लगाना पड़ेगा। आज इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने वाले हैं जो आपके मोटापे को आसानी से कम कर सकता है। अलसी के बीज अलसी के बीज कैसी चीज है जो हर एक भारतीय किचन में आसानी से मिल जाती है। इस बीच की खास बात यह है कि यह आपके बैली फैट को आसानी से काम कर देती है। अलसी के बीज खाने के अपने अलग ही फायदे होते हैं। इसमें ओमेगा 3, फैटी एसिड, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, आयरन जैसी मात्रा पाई जाती है। यह आपकी वजन को आसानी से कम कर देता है वेट लॉस की जर्नी में आपको अलसी के बीज जरूर शामिल कर लेना चाहिए। चिया सीड्स अगर आप भी अपनी मोटी चर्बी को लेकर लोगों के सामने शर्मिंदा हो रहे हैं तो इस कम करने का आसान तरीका बताया गया है। आपकी मोती चर्बी को देखने के बाद अगर कोई आपकी पतली कमर देख ले तो वह भी हैरान रह जाएगा। जी हां हम आपके लिए वेट लॉस करने के लिए चिया सीड्स की बात कर रहे हैं यह बहुत ही फायदेमंद है। अगर आप अपने ब्रेकफास्ट में छिया सीड्स को शामिल कर ले, तो आपका पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहेगा। चिया सीड्स आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है और कैलरी को बर्न करता है। कद्दू के बीज सेहत के लिए कद्दू के बीज बहुत फायदेमंद है आप इसे सेहतमंद बने रहते हैं। अगर आपका मोटापा तेजी से बढ़ता जा रहा है तो आपको अपनी डाइट में कद्दू के बीज शामिल कर लेना चाहिए। कद्दू के बीज में विटामिन मिनरल और फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं जो आपके मोटापे को जड़ से खत्म करते हैं। अगर दिन-ब-दिन आपका मोटापा बढ़ते जा रहा है तो कद्दू के बीज इसे काफी हद तक कम कर सकते हैं। वेट लॉस की जर्नी में आपको अपनी डाइट में कद्दू के बीज को बिना सोचे समझे शामिल कर लेना चाहिए। इस तरह से आपको अलग से किसी सप्लीमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी। सूरजमुखी बीज सूरजमुखी के बीज के बारे में तो आपने सुना ही होगा जो वजन को आसानी से कम कर देता है। अगर आप भी अपने पेट के पास जमा चर्बी को खत्म करना चाहते हैं, तो सूरजमुखी के बीज का इस्तेमाल जरूर करें। सूरजमुखी के बीच में पोषक तत्व होते हैं जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं। यह वेट लॉस करने का एक ऐसा तरीका है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। सूरजमुखी के बीज ऐसे भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।  

Dengue NS1 test
Conditions, sourcing

Dengue : When should you go for the NS1 test?

The viral infection of dengue fever is a fear-filled mosquito-borne infection that is said to be feared because of the speed at which they attack and the symptoms that come with the attack. Early detection is a major part of management and impact mitigation. The NS1 test is done as one of the best diagnostic technologies towards this respect; however, for how long should you consider an NS1 test? Knowing the right time to go for the NS1 test can drastically alter the management and outcome. Dengue Fever Dengue fever is an acute disease caused by the dengue virus and transmitted through the bite of the infected Aedes mosquito. The disease may vary from mild to severe and is characterized by the sudden onset of high fever, severe headache, pain behind the eyes, pain in the joints and muscles, rash, and mild bleeding. Symptoms usually begin 4-10 days after the mosquito bite. Because these symptoms are very similar to most viral infections, the necessity of differential and timely diagnosis becomes imperative. Early Detection is Key Early detection of dengue fever has a big difference in terms of treatment and recovery. With this, the NS1 test comes in. The NS1 test, otherwise known as the nonstructural protein 1 test, identifies the presence of the NS1 antigen of the dengue virus in the blood. The amount of this antigen produced by the body can reach quite a high level during the onset of the infection, which makes the test pretty effective during the first few days of illness. Dengue Fever: Identification of Symptoms in the Early Stages Conduct NS1 testing if you, or someone you know, display further symptoms, such as high fever, severe headache, pain behind the eyes, muscle and joint pains, nausea, vomiting, or skin rash. These signs often are sudden in onset and escalate rather quickly. Because the disease progression is fast, it is wise to consult with a doctor early. Best Time to Test The NS1 antigen can be detected from the first day of fever until about day 5-7. The effectiveness of this means of detection makes the NS1 test to be very useful in early diagnosis. For any suspicion of symptoms, you could always get the NS1 test done. In this way, early testing will, with great certainty, confirm the dengue virus, thus enabling any healthcare service provider to start the management involved immediately. Differential Diagnosis with Other Diseases In endemic regions for dengue, there are a variety of other febrile illnesses, which can manifest in an almost similar way to dengue. These are differentiated by the NS1 test, thus allowing for specific treatment. If treatment is not specific or there is a delay in diagnosis, then there are more chances of making the condition worse by inappropriate handling. Advantages of NS1 Test One of the major advantages of the NS1 test it is very rapid and accurate. With the conventional antibody tests, the test is made based on a rise in the immune response of the body, which takes a while. On the other hand, the NS1 test looks out for the virus itself and hence gives it results in a matter of hours. This quick response is indeed helpful in ensuring early treatment, which consequently prevents complications and enhances recovery. Virus Serotype Tracking The NS1 test can differentiate between the four serotypes of the dengue virus. This information is very important for care providers and public health professionals so that outbreaks can be followed carefully and measures of control can be initiated. With a known serotype in circulation, better strategies can be developed for the prevention of the spread of dengue. In the meantime, more importantly, detection in those at risk for severe dengue is achieved by usage of the NS1 test. Severe dengue, on the other hand, leads to causes of remaining plasma leakage, accumulation of fluid, respiratory distress, severe bleeding, and organ impairment. Its early diagnosis will enable healthcare providers to carefully monitor and give supportive care to patients enrolled, thus preventing the progression of severe dengue. Limitations of the NS1 Test Though the NS1 test is highly effective in the early stages of dengue, it comes with a caveat. It has a declining accuracy after the first week of infection since the levels of the NS1 antigen are depleted in the blood. Therefore, if the symptoms continue beyond even five days, it is suitable to recommend a patient for further tests in the form of IgM and IgG, among others. These may further aid in the identification of the problem and possibly provide a treatment solution. Access and Availability Other factors include the availability and accessibility of the NS1 antigen to the test in differing regions and forms of healthcare setup. It could be weakly accessible and therefore may cause a delay in diagnosis that could have been made on time. In case one notices symptoms of this condition, he or she should consult a medical advisor and present a test option which is the most accessible to a care provider. Preventive Measures and Public Awareness Positive Solution: Besides early testing, preventive measures significantly help manage dengue fever. Reducing mosquito exposure by using insect repellent, wearing protective clothes, and using mosquito nets will help prevent infection. Reducing mosquito breeding grounds by getting rid of stagnant water and maintaining a clean surrounding also cuts the risk of dengue transmission down. Community Education Increased public awareness and community education on dengue fever and the importance of early testing are needed. Communities in dengue-endemic areas must be educated on the symptoms, preventive measures, and prognosis of this ailment. Healthcare authorities should advocate making healthcare facilities capable of running the NS1 test and returning results to patients in time. Timing is Everything Early detection and timely intervention are the two mainstays for the control of dengue. In such a situation, with the early action needed to identify the virus on the initial days of its spread, the NS1 test remains a valuable tool. During

ovarian cancer
Conditions, sourcing

Demystifying Ovarian Cancer : Causes, Symptoms, Treatment, And Prevention

Due to its silent nature of symptoms and late diagnosis, ovarian cancer has long been referred to as the “silent killer.” It is a very serious health problem due to the subtle nature of the symptoms—late diagnoses are almost the rule. Causes, symptoms, treatment, and preventive measures of ovarian cancer need to be duly known to ensure early detection for a better prognosis. Ovarian Cancer:Causes Their main causes include the following: Genetic Mutations Inherited mutations in the BRCA1 and BRCA2 genes raise by up to 53% the risk of ovarian cancer and by up to 87% the risk of breast cancer. Another genetic condition that increases the risk is a family history of Lynch syndrome. Family History A family history of ovarian cancer increases the likelihood of developing the disease. Hormonal Factors Being never pregnant and hormonal replacement after menopause are some of the risk factors. Age and Obesity The incidence of ovarian cancer increases with advancing age. Moreover, over 50 percent of cases are diagnosed in women who have attained menopause. Being obese is also a risk factor . Endometriosis This is a condition in which tissue similar to the lining of the uterus grows outside it and can increase the risk of ovarian cancer. Ovarian Cancer Symptoms The symptoms of ovarian cancer can be very non-specific and may mimic other conditions. Important symptoms include: Abdominal bloating and swelling that persists Pelvic or abdominal pain Difficulty eating or feeling full quickly Frequent urination. or changes in bowel habits Fatigue and unexplained weight loss Pain during intercourse Changes in menstrual cycles Early detection is difficult because most of these symptoms are also the symptoms of many other conditions, but if they persist or grow worse, one should consult a doctor. Diagnosis of Ovarian Cancer Diagnosis of ovarian cancer is usually done through: Pelvic Examination A physical examination for any anomalies. Imaging Tests. Ultrasounds, CT scans, and MRIs to identify tumors. Blood Tests The CA-125 blood test, which measures protein levels, is usually high in ovarian cancer patients, though not always definite . Surgical Evaluation Laparoscopy or laparotomy—visually inspecting the ovaries to remove tissue for biopsy . Treatment Options The treatment for ovarian cancer usually consists of a combination of surgery and chemotherapy based on the extent of the disease. Ovarian Cancer : Surgery Removal of as much cancer as possible is most frequently conducted through surgical intervention. Surgery usually includes the removal of one or both ovaries and/or fallopian tubes and the uterus, along with other tissue affected by the Cancer. Chemotherapy The backbone of drug treatment after surgery to kill remaining cancer cells is chemotherapy. It can be given intravenously or directly into the abdomen (intraperitoneal chemotherapy). Targeted Therapy This is a treatment where drugs are designed to perform a targeted attack of cancerous cells, hence leaving the normal ones intact. Classic examples of common targeted therapies against ovarian cancer include PARP inhibitors and angiogenesis inhibitors. Hormone Therapy Those cancers which utilize certain hormones in their general growth normally retard their progression by blocking these hormone receptors. Radiation Therapy This is less frequent but applied in selected instances wherein radiation targets and kills cancerous cells. Prevention Strategies While there is no definite way of preventing the onset of ovarian cancer, the following strategies will help reduce risk: Genetic Counseling and Testing If one has a family history of ovarian or breast cancer, genetic testing for BRCA mutations can be shown for themselves. Preventive surgery, prophylactic oophorectomy, may be entertained for risk reduction. Oral Contraceptives Long-term use of birth control pills may reduce the risk of ovarian cancer VAR 026. Healthy Lifestyle Maintaining a healthy weight, avoiding smoking, and reducing the use of hormone replacement therapy post-menopause can reduce risk. Final Words Ovarian cancer remains a potential threat to health, being a disease with vague symptoms and mostly late diagnosis. Knowing the risk factors, symptoms, and treatments may help a woman seek advice and timely interventions by doctors. By raising awareness about this silent killer, therefore, we are helping in its early detection and thereby improving outcomes, providing hope to many who suffer from this dreaded disease.

HIV Vaccine
Conditions, sourcing

HIV Vaccine Is Getting Closer To Happening

The quest to destroy HIV dates back many, many years. All through these months and years, researchers have been working patiently seeking the magic of the HIV vaccine that could prevent this deadly disease from claiming lives. That day is sure to mark a new revolution in the global fight against this virus, which just refuses to knuckle down. Medical research currently has brought us closer than ever to making such a vaccine a reality. There seems to be hope in today’s world for fighting this deadly disease called HIV/AIDS. HIV Vaccine HIV vaccine, or human immunodeficiency virus, has been one of the leading health-related concerns in the world since it was first found in the early 1980s. Yet, with all of the marvelous strides in treatment and prevention, a vaccine remains an elusive holy grail. The advancement in vaccine research and development can finally fuel fresh hopes. Breakthrough scientific discoveries, new technologies, and the coming together of people’s efforts finally give findings that can bring an HIV vaccine into our lives. This paper discusses the current status of HIV vaccine research, covering promising developments in the area and future challenges. The Current State of HIV Vaccine Research Hundreds of candidate vaccines have undergone testing over the past years, all with no success—none showed effectiveness in advanced trials. However, recent findings in this field bring new hope. Among those is the mRNA-based vaccine technology, which is one of the most promising candidates. It has been in the limelight due to its stunning success during the development of COVID-19 vaccines. The research investigates the possibility of mRNA vaccines against HIV by tapping into their prowess for strong immune induction. Second-generation approaches involves mRNA, protein subunit vaccines, and viral vector vaccines. Some of these strategies can prime an immune response against HIV. The different approaches underway are witness to the sophistication of the virus and the manifold nature of the immune response needed to prevent infection. Recent Breakthroughs and Clinical Trials One of the most recent prominent successes was that brought forward by the Imbokodo trial, also called HVTN 705/HPX2008, which was a randomized, double-blind, placebo-controlled Phase IIb proof-of-concept test for a mosaic-based vaccine regimen intended to induce immune responses against a diversity of HIV-1 strains. Results announced in 2021 showed a significant 25% risk reduction in acquiring HIV in the vaccinated versus placebo recipients. While this efficacy rate may not be high enough to warrant its immediate widespread use, it does mark a significant step forward in at least proving, for the first time, that an HIV vaccine is within reach. Another heartening development is the AMP study mentioned above, in which broadly neutralizing antibodies were tested to prevent infection with HIV. This study reported that one bNAb, VRC01, lowered the incidence of acquiring HIV by neutralizing vast numbers of different strains of the virus. These findings offer further avenues of research into bNAbs and possible applications in HIV prevention. Global Collaboration in the Search for an HIV Vaccine Global progress in vaccine research would not have been possible if there was no global collaboration. From funding to actual support of research efforts, organizations such as the International HIV Vaccine Initiative, the National Institutes of Health, and the Bill & Melinda Gates Foundation are but three of many that have raised their hand toward collaboration. This effort hence integrates the knowledge of different features, leading to innovation and acceleration in the potential vaccines. Another key basis in the fight against HIV is community participation. Affected communities must be involved in research studies, clinical trials, and all other efforts so that whenever decisions are made, their needs and views—those who are most affected by the virus—are guarded. This builds trust and thus encourages participation in vaccine trials, which is important for its success. Challenges and Future Directions Despite the developments made in the HIV vaccine, some challenges are still left. Of major concern is the mutation rate of the virus, whereby it can change the way it appears to evade the immune system. Another major challenge to vaccine development is the ability to provide cross-protection against this wide variety of HIV strains existent in different parts of the world. Facing these challenges, investigators are investigating new approaches that inactivate or target highly conserved parts of the virus, which are less likely to mutate. A second approach is to try combinations of different vaccine candidates in the hope of eliciting stronger, more broad-based immune responses. This again will require continued basic science investment to further our knowledge and understanding of the virus in finding new vaccine targets. HIV Vaccine: Impact An effective HIV vaccine would be one of the biggest milestones in global health. Not only is it expected to significantly reduce the number of new HIV infections but also understandably, the burden placed by HIV on healthcare systems and improve the quality of life of millions of people. Such an effective vaccine is expected to create quite a difference in control of the epidemic in the hardest hit regions by HIV—in particular, sub-Saharan Africa—and move toward the ending of AIDS as a public health threat. An HIV vaccine would augment existing prevention tools-including PrEP and ART-that has already shown huge potential to decrease the virus transmission rate. An HIV vaccine would thus offer a pioneering and very potent addition to the toolbox of prevention. Final Words The road toward an HIV vaccine has been long and tortuous, but we are closer than ever to realizing this dream. mRNA vaccines have been developed; the success of clinical trials such as Imbokodo and AMP has occurred, with global collaboration contributing to their outcome. Certainly, there are difficult days ahead, but there is so much to be optimistic about. An effective HIV vaccine would completely transform today’s landscape in the fight against HIV/AIDS—a meaningful hope for millions of people all across the world. Ongoing research, financial investment, and collective work can push this vision further forward toward the final aim of bringing an end

ANDROPAUSE
Conditions, sourcing

ANDROPAUSE : मर्दों मे कम उम्र में ही बढ़ रही सेक्स की समस्याएं, क्या है इसके पीछे का कारण

ANDROPAUSE : पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और ग्रोथ हार्मोन के स्तर में प्राकृतिक उम्र से संबंधित गिरावट है। एंड्रोपॉज को संदर्भित करने के लिए कई शब्दावलियों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें पुरुष रजोनिवृत्ति, पुरुष क्लाइमेक्टेरिक, वृद्ध पुरुषों में एंड्रोजन की कमी , वायरोपॉज और वृद्ध पुरुषों में आंशिक एंड्रोजन की कमी शामिल हैं। ANDROPAUSE  के बेसिक कारण “एंड्रोपॉज़” शब्द ग्रीक शब्द “एंड्रास” से लिया गया है जिसका अर्थ है मानव पुरुष, और “विराम” का अर्थ है समाप्ति। इसलिए, एंड्रोपॉज़ एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ वृद्ध पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के कारण पुरुषों को यौन संतुष्टि में कमी या समग्र कल्याण में गिरावट का अनुभव होता है। 1946 में, ANDROPAUSE सिंड्रोम को पहली बार “पुरुष क्लाइमेक्टेरिक” के रूप में वर्णित किया गया था, जिसकी विशेषता कामेच्छा में कमी, घबराहट, चिड़चिड़ापन, स्तंभन दोष, कम शक्ति, थकान, मांसपेशियों और ताकत में कमी, बालों का झड़ना, गर्म चमक, स्मृति समस्याएं, अवसाद और नींद की गड़बड़ी थी। हाइपोगोनाडिज्म ANDROPAUSE के मेन लक्षण बुढ़ापे के अलावा, एंड्रोपॉज उन पुरुषों में भी होता है जो बीमारियों या दुर्घटनाओं के कारण अपने वृषण कार्य को खो देते हैं। यह सिंड्रोम उन्नत प्रोस्टेट कैंसर वाले पुरुषों में भी देखा गया है जो शल्य चिकित्सा या चिकित्सा बधियाकरण से गुजरते हैं। टेस्टोस्टेरोन का स्तर और पुरुष रजोनिवृत्ति टेस्टोस्टेरोन मुख्य एंड्रोजन हार्मोन है जो प्रमुख पुरुष यौन विशेषताओं के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, टेस्टोस्टेरोन के स्तर में परिवर्तन पुरुष आबादी के मनोवैज्ञानिक और यौन कार्यों और शरीर की संरचना को प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन का स्तर 1% प्रति वर्ष की दर से कम होता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि टेस्टोस्टेरोन में गिरावट की दर गंभीर भावनात्मक तनाव, पुरानी बीमारी, दवाओं और मोटापे सहित कई कारकों के आधार पर लोगों के साथ भिन्न होती है। स्वास्थ्य और जीवनशैली कारकों को प्रबंधित करके गिरावट की दर को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। बढ़ती उम्र के साथ शुरु हो रही समस्या उम्र बढ़ने वाले पुरुषों में, टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट मुख्य रूप से अंडकोष में लेडिग सेल द्रव्यमान में कमी, हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी होमोस्टैटिक नियंत्रण में शिथिलता या दोनों के कारण होती है। इन स्थितियों के कारण ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्राव कम होता है और इसके परिणामस्वरूप टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम होता है। हालाँकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट धीरे-धीरे होती है, लेकिन यह 40 से 55 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक होती है। उम्र बढ़ने वाले पुरुष आबादी को विकलांगता और बीमार सहित मेन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए ANDROPAUSE से जुड़े प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को संबोधित करना अनिवार्य है। ANDROPAUSE से जुड़े मिथ कई पुरुषों को ANDROPAUSE की नैदानिक स्थितियों के बारे में गलत जानकारी है और वे इस स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण दुविधाओं से पीड़ित हैं। उचित जानकारी के साथ पुरुष रजोनिवृत्ति को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। पुरुषों में जागरूकता की कमी, अनुचित समझ, अज्ञानता और पुरुष रजोनिवृत्ति के बारे में निर्विवाद स्वीकृति इसके अभिव्यक्तियों से जुड़े मिथकों के मूल कारण हैं। कई पुरुष जो थकान और कामेच्छा की कमी के कारण सामान्य चिकित्सकों के पास जाते हैं, उन्हें पुरुष रजोनिवृत्ति की शुरुआत की संभावना को संबोधित किए बिना, “यह आपकी उम्र है” कहकर वापस भेज दिया जाता है। इसके अलावा, एंड्रोपॉज वाले कई व्यक्तियों को अवसाद का गलत निदान किया जाता है और उन्हें अवसादरोधी दवाएं दी जाती हैं।

error: Content is protected !!
Scroll to Top