Author name: Azanma

Hey ! This is Azanma persuing Bachelor of Art from a college affiliated to Deen Dayan University Gorakhpur. I had passed my 10th class with 83% of marks wherein I have secured 89% in my 12th. Apart from my main course, I'm interested and existed to learn something new where I can enhance my level up and build my career accordingly, Currently I'm looking for a role of content writer so that I can present my opinion and skills along with the rational thoughts of society. I'm interested in writing blog, Article that may be of any issues like political, social, or other subjects, as according to needs of the institution/authority. Thank you !

monsoon
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Monsoon Delights : इस मॉनसून बनाएं सबसे यूनिक और टेस्टी पूरियां, सबको आएंगी बेहद पसंद

Monsoon Delights : मानसून चल रहा है तो जरूर आपको रोज कुछ न कुछ fried खाने की क्रेविंग तो जरुर हो रही होगी । वैसे तो मॉनसून में तला भुना खाने का काफी मन करता है। बारिश का मौसम और मस्त तला हुआ पकवान खाने का आनंद ही अलग है। इसलिए हम लाए है आपके लिए ऐसी ही स्वादिष्ट और मजेदार पूरियां जो स्वाद में बहुत ही लाजवाब होती हैं और इन्हें बनाना काफी आसान होता है। May–June की भीषण गर्मी से परेशान हर कोई बरसात में ठंडक भरे मौसम का इंतजार करता है। ऐसे में बारिश में कुछ टेस्टी खाने का मन भी बहुत करता है जैसे में कचौरीयां, गर्मागर्म पूरियां मौसम के मज़े को दोगुना कर देती है। खासकर बारिश के मौसम में अन्य अलग अलग तरह की ट्रेडिशनल पूरियां बनाई जाती हैं जिनका मजा इसी मौसम में आता है। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ पूरियों के बारे में: मीठी पूरी इस पूरी को बनाने के लिए गेहूं के आटे में चीनी की चासनी, बारीक कटी dry fruits, इलाइची पाउडर डालकर अच्छे से आटा लगाते हैं फिर गूथे हुए आटे की पूरियां बनाते हैं। ये खाने में बहुत स्वादिष्ट होती हैं। मालपुआ इसे बनाने के लिए आप मैदा या आटे में चीनी की चासनी, इलायची पाउडर, milk powder, dry fruits, मैश किया हुआ केला, दुध डालकर अच्छी तरह फेंट लें फिर इसे 5 घंटे ऐसे ही rest करने दें , deep fry कर इसे बाहर निकाल लें। अब आप गर्मागर्म मालपुआ का मजा रबड़ी के साथ ले सकते हैं। पालक पूरी इसे बनाने के लिए आपको उबला हुआ पालक मिक्सी में बारीक पीस लेना है। अब पिसे हुए पालक में हल्का नमक, घी, जीरा, डालकर आटा लगा लें फिर पूरियां तैयार कर लें। इसे आप आलू की सब्जी या छोले की साथ सर्व कर सकते हैं। चना दाल पूरी रातभर भिगोई हुई चने की दाल को बारीक पीस लें फिर कढ़ाई में जीरा, तेल डालकर हरी मिर्च का तड़का लगाते हुए हल्का सा भून लें फिर उसमें नमक, हल्दी पाउडर डालकर कुछ देर भूनने के बाद इसे बाहर निकाल लें फिर आटे की लोई बनाके इस स्टफिंग को लोई में भरके तेल में deep fry कर लें । मेथी की पूरी इसे बनाने के लिए आटे में कद्दूकस किया हुआ आलू, अजवाइन,नमक, और कसूरी मेथी डालकर आटा लगा लें फिर इसकी गर्मागर्म पूरियां निकाल लें।

Remove Surgery Marks
Herbs, Organic

Remove Surgery Marks : सर्जरी के पुराने दागों को हटाने के लिए अचूक उपाय

Remove Surgery Marks : सर्जरी के बाद टांको के निशान देखने में बड़े अजीब लगते हैं हालांकि इन्हे हटने या मिटने में काफी समय लगता है, जिसकी वजह से महिलाएं अपने मनपसंद की ड्रेसेज नही पहन पाती। आइए आजमाते हैं ये घरेलू उपाय जो टांको के निशान को हटाने में मदद करेंगी । वैसे तो टांके के निशान किसी तरह की कोई परेशानी नही देते लेकिन ये देखने में असहज दिखते हैं जिससे एक अलग ही चिड़चिड़ापन होता है।अगर आपके भी शरीर पर टांकों के निशान है तो इन ट्रिक्स को जरुर try कीजिए। टांके के निशान हटाने के घरेलू उपाय 1. नींबू का रस नींबू का रस टांके के निशान के लिए बेहद फायदेमंद होता है इसे आप किसी भी दाग़ या मार्क्स को रिमूव करने के लिए try कर सकते हैं। नींबू का रस नेचुरल एसिडिक होता है जो टांके के निशान को कम करने के लिए एक प्रभावी उपायों में से एक है। नींबू के रस को निशान वाली जगह पर दस मिनट के लिए लगा कर छोड़ दें फिर इसे मसाज देते हुए गर्म पानी से धो कर मॉश्चराइज कर ले । इस टिप्स को आप दिन मे दो से तीन बार दोहराएं। जल्द ही आपको रिजल्ट देखने को मिल जायेंगे। 2. बादाम का तेल बादाम का तेल स्किन रिलेटेड हर समस्या का समाधान है। यह स्किन की ड्राइनेस को तो दूर करता ही है साथ ही दाग धब्बों के लिए बेहद फायदेमंद भी है। हर रोज 2 से 3 बार बादाम के तेल को सर्जरी मार्क्स वाली जगह पर लगाने से दाग काम होने के चांसेज होते हैं । इसे लगा के धोने की भी जरुरत नही होती क्योंकि तेल स्किन में एब्जॉर्ब कर लेता है और स्किन को ड्राई होने से भी बचाता है। 3. सेब का सिरका सेब का सिरका दाग को कम करने में बहुत मदद करता है ।इसमें पाए जाने वाले एसिटिक अम्ल और कठिन दाग को हटाने में काफी कारागार माने जाते हैं। इसको आप स्प्रे बॉटल की मदद से टांके वाली जगह पर रात में स्प्रे करके सो जाए सुबह इसे अच्छे से साफ कर मॉश्चराइज कर ले। रोज ऐसा करने से आपको जल्द ही नतीजे देखने को मिल सकते है। 4.प्याज का रस टांके वाली जगह पर आप प्याज का रस लगाकर देखें। इसके लिए प्याज को ग्रेटर की मदद से कद्दूकस कर ले फिर उसे निचोड़कर उसका जूस निकाल ले उसमे विटामिन ई कैप्सूल जेल मिक्स कर रूई की मदद से सर्जरी मार्क्स पर लगाए । 20 से 25 मिनट बाद उसे अच्छे से साफ कर मॉश्चराइज कर ले। 5. विटामिन सी दाग धब्बे दूर करने के लिए आवला भी बेहद असरदार साबित हो सकता है आवले में पाए जाने वाले विटामिन सी दाग धब्बे दूर करने में मदद करता है। इसके लिए एक चम्मच आवला चूर्ण ले उसमे जोजोबा ऑयल की कुछ बूंदे मिलाकर पेस्ट बना लें फिर उसे टांके वाली जगह पर लगाए और सूखने के बाद पानी से धो लें। दिन में दो तीन बार आप ऐसा कर सकते हैं। 6. जैतून का तेल जैतून का तेल vitamin, Antioxidant और पोषण तत्वों से युक्त होता हैं जो टांके के निशान को मिटाने में मदद करता है और रंगत को भी निखारता है।इसे लगाने के लिए जैतून के तेल को गर्म करके टांके पर लगा कर मसाज करें फिर उसे ऐसे ही छोड़ दें इस प्रक्रिया को दिन मे दो बार दोहराएं।

Benefits of Ashwagandha
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Benefits of Ashwagandha : बीमारियों के लिए रामबाण है अश्वगंधा, फायदों के साथ नुकसान पर भी करें गौर

Benefits of Ashwagandha : जड़ी बूटियों में सबसे शक्तिशाली माना जाने वाला अश्वगंधा का पौधा भारत के लगभग हर क्षेत्र में पाया जाता है। इसे बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटियों में से एक माना जाता है। अश्वगंधा पौधों के हर अंग( फल, फूल तथा पत्तियां) का सेवन किया जाता है। अश्वगंधा का पौधा मुख्यत: झाड़ियों जैसा होता है जो आपको खेत या सड़क किनारे देखने को मिल जायेंगे। अश्वगंधा के फल मटर जैसे उगे होते हैं जिनके ऊपर जाली जैसा कवर चढ़ाया गया होता है । फल पकने के बाद लाल टमाटर जैसे हो जाते हैं। अश्वगंधा के फायदे अनेक हैं आइए जानते हैं अश्वगंधा के फायदे •अश्वगंधा सभी दवाइयों में सर्वश्रेष्ठ है । इसका उपयोग हर कोई कर सकता है। बड़े ,बुजुर्ग , नौजवान सभी इसका सेवन कर सकते हैं। •अश्वगंधा की पत्तियों से कई प्रकार की दवाइयां बनती है जो हमारे शरीर से बीमारियां दूर करने में मदद करती हैं। •अश्वगंधा चूर्ण हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है और इसका नियमित सेवन व्यक्ति को तनाव और अवसाद से छुटकारा भी दिलाता है। •अश्वगंधा पुरुषों की ताकत, सहनशक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। यह mental stress को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है। •अश्वगंधा शरीर के हर रोग की दवा है इसकी पत्तियां शरीर को मोटापे जैसे गंभीर समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करती है। अश्वगंधा के पत्तों के नियमित सेवन से बढ़ते वजन को कंट्रोल में रखने में काफी मदद मिलती है। अश्वगंधा के नुकसान अगर अश्वगंधा के फायदे है तो नुकसान भी बहुत हैं। किसी मायने में यह फायदेमंद है तो कभी इसका ज्यादा उपयोग शरीर को हानि भी दे सकता है।आइए जानते हैं क्या है इसके नुकसान •अश्वगंधा का प्रयोग से नींद अच्छी आने लगती है लेकिन इसका लगातर और जरूरत से ज्यादा सेवन करने से बहुत अधिक नींद आने लगती है जिसका प्रभाव आपके शरीर और स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। •अश्वगंधा चूर्ण का इस्तेमाल लंबे समय से करने वालों पर अन्य दवाइयों का प्रभाव बहुत धीमा या कम पड़ता है । जो की अन्य स्वास्थ जोखिम को बढ़ा सकता है। •अश्वगंधा का प्रयोग मोटापा कम करने के लिए किया जाता है किंतु यह बहुत तेजी से मोटापा बढ़ा भी सकता हैं । इसलिए जो लोग मोटापे से ग्रस्त हैं उनको अश्वगंधा की पत्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। अश्वगंधा का प्रयोग •अश्वगंधा एक ताकतवर जड़ी-बूटी है, जिससे दिल की बीमारी, डायबिटीज, किडनी-लिवर के रोगों को खत्म किया जा सकता है। •अश्वगंधा को दूध के साथ लेना आपके मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर करने में काफी ज्यादा लाभकारी हो सकता है। इसको दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त क्षमता को बेहतर करने में मदद मिलती है। साथ ही यह फोकस और समग्र संज्ञानात्मक प्रदर्शन को बढ़ाने में आपकी मदद करता है। •याद रहे अश्वगंधा के साथ चाय या कॉफी पीने से बचना चाहिए। अश्वगंधा का सेवन करने के साथ आपको मसालेदार भोजन से भी परहेज करना होगा।

ANDROPAUSE
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ANDROPAUSE : मर्दों मे कम उम्र में ही बढ़ रही सेक्स की समस्याएं, क्या है इसके पीछे का कारण

ANDROPAUSE : पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और ग्रोथ हार्मोन के स्तर में प्राकृतिक उम्र से संबंधित गिरावट है। एंड्रोपॉज को संदर्भित करने के लिए कई शब्दावलियों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें पुरुष रजोनिवृत्ति, पुरुष क्लाइमेक्टेरिक, वृद्ध पुरुषों में एंड्रोजन की कमी , वायरोपॉज और वृद्ध पुरुषों में आंशिक एंड्रोजन की कमी शामिल हैं। ANDROPAUSE  के बेसिक कारण “एंड्रोपॉज़” शब्द ग्रीक शब्द “एंड्रास” से लिया गया है जिसका अर्थ है मानव पुरुष, और “विराम” का अर्थ है समाप्ति। इसलिए, एंड्रोपॉज़ एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ वृद्ध पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर के कारण पुरुषों को यौन संतुष्टि में कमी या समग्र कल्याण में गिरावट का अनुभव होता है। 1946 में, ANDROPAUSE सिंड्रोम को पहली बार “पुरुष क्लाइमेक्टेरिक” के रूप में वर्णित किया गया था, जिसकी विशेषता कामेच्छा में कमी, घबराहट, चिड़चिड़ापन, स्तंभन दोष, कम शक्ति, थकान, मांसपेशियों और ताकत में कमी, बालों का झड़ना, गर्म चमक, स्मृति समस्याएं, अवसाद और नींद की गड़बड़ी थी। हाइपोगोनाडिज्म ANDROPAUSE के मेन लक्षण बुढ़ापे के अलावा, एंड्रोपॉज उन पुरुषों में भी होता है जो बीमारियों या दुर्घटनाओं के कारण अपने वृषण कार्य को खो देते हैं। यह सिंड्रोम उन्नत प्रोस्टेट कैंसर वाले पुरुषों में भी देखा गया है जो शल्य चिकित्सा या चिकित्सा बधियाकरण से गुजरते हैं। टेस्टोस्टेरोन का स्तर और पुरुष रजोनिवृत्ति टेस्टोस्टेरोन मुख्य एंड्रोजन हार्मोन है जो प्रमुख पुरुष यौन विशेषताओं के लिए जिम्मेदार है। इसलिए, टेस्टोस्टेरोन के स्तर में परिवर्तन पुरुष आबादी के मनोवैज्ञानिक और यौन कार्यों और शरीर की संरचना को प्रभावित करता है। उम्र बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन का स्तर 1% प्रति वर्ष की दर से कम होता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि टेस्टोस्टेरोन में गिरावट की दर गंभीर भावनात्मक तनाव, पुरानी बीमारी, दवाओं और मोटापे सहित कई कारकों के आधार पर लोगों के साथ भिन्न होती है। स्वास्थ्य और जीवनशैली कारकों को प्रबंधित करके गिरावट की दर को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। बढ़ती उम्र के साथ शुरु हो रही समस्या उम्र बढ़ने वाले पुरुषों में, टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट मुख्य रूप से अंडकोष में लेडिग सेल द्रव्यमान में कमी, हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी होमोस्टैटिक नियंत्रण में शिथिलता या दोनों के कारण होती है। इन स्थितियों के कारण ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का स्राव कम होता है और इसके परिणामस्वरूप टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम होता है। हालाँकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट धीरे-धीरे होती है, लेकिन यह 40 से 55 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक होती है। उम्र बढ़ने वाले पुरुष आबादी को विकलांगता और बीमार सहित मेन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने के लिए ANDROPAUSE से जुड़े प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को संबोधित करना अनिवार्य है। ANDROPAUSE से जुड़े मिथ कई पुरुषों को ANDROPAUSE की नैदानिक स्थितियों के बारे में गलत जानकारी है और वे इस स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण दुविधाओं से पीड़ित हैं। उचित जानकारी के साथ पुरुष रजोनिवृत्ति को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। पुरुषों में जागरूकता की कमी, अनुचित समझ, अज्ञानता और पुरुष रजोनिवृत्ति के बारे में निर्विवाद स्वीकृति इसके अभिव्यक्तियों से जुड़े मिथकों के मूल कारण हैं। कई पुरुष जो थकान और कामेच्छा की कमी के कारण सामान्य चिकित्सकों के पास जाते हैं, उन्हें पुरुष रजोनिवृत्ति की शुरुआत की संभावना को संबोधित किए बिना, “यह आपकी उम्र है” कहकर वापस भेज दिया जाता है। इसके अलावा, एंड्रोपॉज वाले कई व्यक्तियों को अवसाद का गलत निदान किया जाता है और उन्हें अवसादरोधी दवाएं दी जाती हैं।

Which Is The Best Oil For Consumption:
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Which Is The Best Oil For Consumption : पेट की चर्बी करना हो कम तो अपनाएं डायट में यह तेल

Which Is The Best Oil For Consumption : वसा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और इसे संतुलित आहार में शामिल किया जाना चाहिए। खाना पकाने के तेल वसा और अन्य पोषक तत्वों का एक स्वस्थ स्रोत हो सकते हैं, लेकिन सही प्रकार का चयन करना जरूरी है। हालाँकि आपका समग्र आहार आपके स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन स्वस्थ वसा, जैसे जैतून का तेल, एवोकैडो तेल और तिल का तेल को प्राथमिकता देना सबसे अच्छा है, और कम स्वस्थ खाना पकाने के तेल, जैसे सोयाबीन, मक्का और कैनोला तेल को सीमित करना चाहिए। जब भी संभव हो स्वस्थ तेलों का चयन करना और धूम्रपान बिंदुओं के बारे में जागरूक होना आपके स्वास्थ्य की रक्षा करने और आपके पसंदीदा व्यंजनों की गुणवत्ता और स्वाद को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। कुछ तेल स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं, जिन्हे आपको अपनी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए । आपकी हेल्द के लिए 7 बेस्ट ऑयल   1. जैतून का तेल जैतून का तेल प्रसिद्ध हृदय-स्वस्थ भूमध्यसागरीय आहार का एक मूल घटक है, और यह सलाद, पास्ता और ब्रेड पर छिड़कने के लिए एकदम सही है। “सर्वश्रेष्ठ ऑल-अराउंड पुरस्कार जैतून के तेल को जाता है। आप इसे लगभग किसी भी तरह के खाना पकाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके रक्तचाप को कम करने और सूजन से लड़ने में मदद कर सकता है। यह आपकी रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार करके और रक्त के थक्कों को रोककर हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। EVOO में एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो कोशिका क्षति को रोकते हैं। 2.एवोकाडो तेल एवोकाडो तेल ठंडा (सलाद, डिप या स्मूदी में) और गर्म (ग्रिलिंग, बेकिंग) भोजन तैयार करने के लिए अच्छा है। इसमें ओलिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो एक फैटी एसिड है जिसके बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं। और जब आप इसे सब्जियों के साथ खाते हैं, तो यह आपके द्वारा लिए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा को बढ़ा सकता है। यह सूजन को कम करता है और गठिया के लक्षणों को शांत करता है। और यह आपको मसूड़ों की बीमारी से बचा सकता है। 3.अलसी का तेल हालाँकि इसका स्मोक पॉइंट (जिस तापमान पर यह धुआँ छोड़ना शुरू करता है) खाना पकाने के लिए बहुत कम है, अलसी का तेल सलाद, डिप्स और स्मूदी के लिए एक स्मार्ट विकल्प है। यह आपके ओमेगा-3 को बढ़ाने में मदद करता है। अलसी के तेल में मौजूद अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) दिल की बीमारी के लिए अच्छा है और यह रक्तचाप को भी कम कर सकता है। 4.कैनोला तेल इसमें संतृप्त वसा कम होती है लेकिन मोनोसैचुरेटेड वसा (जैसे जैतून का तेल) अधिक होती है। और इसमें फाइटोस्टेरॉल होते हैं, जो आपके शरीर द्वारा अवशोषित कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह ओमेगा 3 का भी एक अच्छा ऑप्शन है, जो दिल के लिए एक और लाभपूर्ण हैं । 5.बादाम का तेल इसमें मोनोसैचुरेटेड फैट और विटामिन ई की मात्रा अधिक होती है। रिफाइंड बादाम के तेल का स्मोक पॉइंट बहुत अधिक होता है, इसलिए यह तेज़ आंच पर पकाने जैसे कि भूनने और भूरा करने के लिए अच्छा होता है। अपरिष्कृत बादाम के तेल का स्वाद अखरोट जैसा होता है और इसे सलाद ड्रेसिंग या पास्ता पर छिड़कने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। 6.अखरोट का तेल आपको इसे तेज़ आंच पर पकाए जाने वाले व्यंजनों के लिए यूज नहीं करना चाहिए, लेकिन अखरोट के तेल का अखरोट जैसा स्वाद इसे सब्ज़ियों पर छिड़कने या सिरके की ड्रेसिंग या सॉस में डालने के लिए एक स्वादिष्ट विकल्प बनाता है। इसमें बहुत सारा अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) होता है, जो आपके दिल और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। 7.तिल का तेल अगर आप एक स्वादिष्ट तेल की तलाश में हैं जो मध्यम-आंच पर खाना पकाने के लिए उपयुक्त है, तो तिल के तेल को आज़माएँ। तिल का तेल भुने हुए या कच्चे तिल के बीजों से प्राप्त होता है, जो छोटे बीज होते हैं जो विटामिन, खनिज, स्वस्थ वसा और पौधे-आधारित प्रोटीन से भरे होते हैं।

Pregnancy
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Pregnancy : गर्भावस्था में एंटीबायोटिक दवाएं लेना कितना सुरक्षित है ?

PregnancyPregnancy : गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर डॉक्टर द्वारा एंटीबायोटिक्स निर्धारित किए जाते हैं। हालाँकि, दवा के विशिष्ट प्रकार को सावधानी से चुना जाना चाहिए। कुछ एंटीबायोटिक्स गर्भावस्था के दौरान लेने के लिए ठीक हैं, जबकि अन्य नहीं। सुरक्षा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें एंटीबायोटिक का प्रकार, गर्भावस्था में आप एंटीबायोटिक कब और कितने समय तक लेते हैं, आप कितना लेते हैं, और आपकी गर्भावस्था पर इसका संभावित प्रभाव शामिल है। माना जाता है कि कुछ अन्य एंटीबायोटिक्स गर्भावस्था के दौरान जोखिम पैदा करते हैं। उदाहरण के लिए, टेट्रासाइक्लिन हड्डियों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और बढ़ते बच्चे के दांतों को खराब कर सकते हैं। गर्भावस्था के पांचवें सप्ताह के बाद टेट्रासाइक्लिन के उपयोग की अनुशंसा नहीं की जाती है। सल्फोनामाइड्स से हृदय रोग, फटे होंठ या तालू और पीलिया का थोड़ा जोखिम हो सकता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही और प्रसव के समय के दौरान आमतौर पर सल्फोनामाइड्स से परहेज किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान, शिशुओं को प्लेसेंटा नामक अंग के माध्यम से ऑक्सीजन, रक्त और पोषक तत्व मिलते हैं। यह अंग आपके बच्चे के लिए एक फिल्टर के रूप में कार्य करता है, लेकिन कुछ दवाएँ भी इसके माध्यम से गुजर सकती हैं और आपके बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकती हैं। यही कारण है कि गर्भवती महिलाओं को दवा, उपचार और ओवर-द-काउंटर दवाओं के साथ सावधान रहने के लिए बहुत सारे निर्देश दिए गए हैं। गर्भावस्था के दौरान आप जीवाणु संक्रमण से बीमार हो सकती हैं जिससे लड़ने के लिए आपके शरीर को दवा की आवश्यकता होती है। आपका डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स दे सकता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक्स लेना सुरक्षित है। लेकिन कुछ एंटीबायोटिक्स का उपयोग गर्भावस्था के दौरान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे आपके बच्चे के विकास में समस्याएँ या अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। हाल ही में एक डाटा तैयार किया गया उन गर्भवती महिलाओं के ऊपर जिन्हें एंटीबायोटिक्स निर्धारित किए गए थे और उन महिलाओं के डेटा की तुलना की उन महिलाओं से की जिन्हें दवाइयों के संपर्क में नहीं लाया गया था। यह भी पता किया गया कि किसी महिला को किस प्रकार का एंटीबायोटिक निर्धारित किया गया था। अध्ययन में लगभग 9,000 महिलाओं ने गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले गर्भपात कर लिया; जांचकर्ताओं ने मूल्यांकन किया कि क्या एंटीबायोटिक निर्धारित किए जाने से गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है और क्या एंटीबायोटिक के प्रकार से कोई फर्क पड़ता है। परिणामों को प्रभावित करने वाले कारकों को नियंत्रित करने के बाद – जैसे कि संक्रमण के निदान के साथ अस्पताल में भर्ती होना या एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में आना – अध्ययन में पाया गया कि गर्भपात करने वाले लगभग 16 प्रतिशत रोगियों को एंटीबायोटिक्स भी निर्धारित किए गए थे। उल्लेखनीय रूप से कम महिलाओं, केवल 12.6 प्रतिशत, को एंटीबायोटिक्स निर्धारित नहीं किए गए थे, जिनका गर्भपात हुआ। गर्भावस्था के दौरान एंटीबायोटिक्स लेने के जोखिम बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने में आपके शरीर की मदद करने के लिए एंटीबायोटिक्स महत्वपूर्ण हैं। गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक्स असुरक्षित हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं – टेट्रासाइक्लिन फ़्लोरोक्विनोलोन स्ट्रेप्टोमाइसिन कैनामाइसिन एमिनोग्लाइकोसाइड्स मेट्रोनिडाज़ोल

10 nutritious foods
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10 nutritious foods : वजन कम करने के लिए अपनाएं यह डाइट

10 nutritious foods : बढ़ता मोटापा और वजन बढ़ना आज कल आम समस्या बन गई है । ये समस्या खान पान के सही न होने तथा अच्छी डाइट न लेने पर भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है एक हेल्थी डाइट की जो न सिर्फ आपको स्वस्थ रहने में मदद करेगा बल्कि आपके बेली fat और वजन को भी कम करने में मदद करेगा। ऐसे 10 न्यूट्रियस फूड जो आपके बेली fat को बर्न करने में मदद करेंगे– 1.साबुत अनाज क्विनोआ, ब्राउन राइस और ओटमील जैसे साबुत अनाज फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। ये रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखने में मदद करते हैं। साबुत अनाज रिफाइंड अनाज की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं, जिससे वे वजन घटाने के लिए एक स्वस्थ विकल्प बन जाते हैं। कार्बोहाइड्रेट के अपने मुख्य स्रोत के रूप में साबुत अनाज को चुनकर अपने आहार में शामिल करें। भोजन के आधार के रूप में या हार्दिक नाश्ते के विकल्प के रूप में उनका आनंद लें। 2.अंडे अंडे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और स्वस्थ वसा का एक बेहतरीन स्रोत हैं। वे मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते हैं और आपको भरा हुआ रखते हैं, जो वजन घटाने में सहायता कर सकता है। अंडे बहुमुखी और तैयार करने में आसान होते हैं। पौष्टिक नाश्ते के लिए उन्हें तले हुए, उबले हुए या उबले हुए रूप में खाएँ। प्रोटीन बढ़ाने के लिए आप सलाद, सैंडविच या स्टिर-फ्राई में भी अंडे मिला सकते हैं। 3.एवोकाडो एवोकाडो में मोनोअनसैचुरेटेड वसा भरपूर मात्रा में होती है, जो हृदय के लिए स्वस्थ वसा है। ये पेट की चर्बी कम करने और वजन घटाने में मदद करते हैं। एवोकाडो में फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है, जो आपको लंबे समय तक भरा रखता है और आपकी भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है। एवोकाडो को अपने आहार में शामिल करना उतना ही आसान है जितना कि उन्हें सलाद, सैंडविच या स्मूदी में शामिल करना। उनकी मलाईदार बनावट और हल्का स्वाद उन्हें कई व्यंजनों में शामिल करने के लिए एक बहुमुखी विकल्प बनाता है। 4.चिल्ली पेपर्स मिर्च में कैप्साइसिन होता है, जो एक ऐसा यौगिक है जो चयापचय को बढ़ाता है और वसा जलने को बढ़ावा देता है। मसालेदार भोजन खाने से आपकी ऊर्जा व्यय बढ़ सकती है और पेट की चर्बी कम करने में मदद मिल सकती है। अपने भोजन में चिल्ली पेपर्स जोड़ने से स्वाद बढ़ सकता है और वजन घटाने में सहायता मिल सकती है। आप सूप, स्टू, सॉस और मैरिनेड में ताज़ी या सूखी मिर्च का उपयोग कर सकते हैं। 5.वसायुक्त मछली सैल्मन, मैकेरल और सार्डिन जैसी वसायुक्त मछलियाँ ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती हैं, जो सूजन को कम करने और वसा हानि को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। इन मछलियों में प्रोटीन भी अधिक होता है, जो मांसपेशियों की वृद्धि और वजन प्रबंधन में सहायक होता है। इष्टतम स्वास्थ्य लाभों के लिए सप्ताह में कम से कम दो बार अपने आहार में वसायुक्त मछली शामिल करें। स्वादिष्ट और स्वस्थ भोजन के लिए मछली को ग्रिल, बेक या स्टीम करें। 6.ग्रीक योगर्ट ग्रीक योगर्ट में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो मांसपेशियों के निर्माण और वसा को जलाने में मदद करता है। इसमें प्रोबायोटिक्स भी होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा साबित हो सकता है , जो वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण है। ग्रीक योगर्ट नियमित दही की तुलना में अधिक गाढ़ा और मलाईदार होता है और इसे विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे सादा खाएं, मिठास के लिए कुछ जामुन डालें, या इसे स्मूदी और सलाद ड्रेसिंग के लिए बेस के रूप में इस्तेमाल करें। 7.बेरीज ब्लूबेरी, रास्पबेरी और स्ट्रॉबेरी जैसे बेरीज एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं। ये फल आपके शरीर के इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो पेट की चर्बी को कम करने में मदद कर सकते हैं। बेरीज में मौजूद उच्च फाइबर सामग्री पाचन में भी मदद करती है और आपको भरा हुआ महसूस कराती है। बेरीज को नाश्ते के रूप में खाएँ, उन्हें दही या ओटमील में मिलाएँ या स्वादिष्ट और सेहतमंद खाने के लिए स्मूदी में मिलाएँ। 8.पत्तेदार सब्जियाँ पालक, केल और स्विस चार्ड जैसी पत्तेदार सब्जियाँ कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होती हैं। वे अतिरिक्त कैलोरी जोड़े बिना आपको तृप्त करने में मदद करती हैं, जिससे वे वजन घटाने के लिए लाभपूर्ण बन जाती हैं। ये सब्जियाँ विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर होती हैं जो समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करती हैं। आप सलाद, स्मूदी या अपने भोजन के साथ साइड डिश के रूप में भी पत्तेदार सब्जियाँ खा सकते हैं। 9.ग्रीन टी ग्रीन टी अपने फैट बर्निंग गुणों के लिए जानी जाती है। इसमें कैटेचिन होते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने और फैट बर्निंग को बढ़ाने में मदद करते हैं, खास तौर पर पेट के क्षेत्र में। दिन में कुछ कप ग्रीन टी पीने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इसे कम कैलोरी रखने के लिए बिना चीनी या क्रीम के पीना सबसे अच्छा है। आप गर्म मौसम में ग्रीन टी को एक ताज़ा आइस्ड पेय के रूप में भी पी सकते हैं। 10.मेवे बादाम, अखरोट और पिस्ता जैसे मेवे स्वस्थ वसा, प्रोटीन और फाइबर के बेहतरीन स्रोत हैं। ये आपको भरा हुआ और संतुष्ट रखने में मदद करते हैं, जिससे आप ज़्यादा खाने से बच सकते हैं। मेवों में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होते हैं, जो सूजन को कम करने और वसा हानि को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। मुट्ठी भर मेवे एक बेहतरीन नाश्ता बन सकते हैं और इन्हें सलाद, दही या दलिया में भी मिलाया जा सकता है।

Benefits to cutting down sugar
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Benefits to cutting down sugar : क्यों खाना छोड़े आज से ही चीनी, शरीर को मिलेगें गजब के फायदे

Benefits to cutting down sugar : आमतौर पर चीनी का सेवन सबसे अधिक संवेदनशील स्थिति है जो आजकल बढ़ती जा रही है। चीनी का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन अधिकांश स्थितियों में यह हमारे दैनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आपके आहार में बहुत अधिक चीनी आपके स्वास्थ्य पर खास प्रभाव डाल सकती है, जिससे कई स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है और आपकी सेहत पर भी असर पड़ सकता है। अगर हम अपने आहार से चीनी को हटा दें तो क्या होगा? benefits of cutting down on sugar अपने आहार से चीनी कम करना अपने आप में एक टास्क है लेकिन इसके फ़ायदे भी अनेक हैं, जैसे:– दिल की बीमारी से बचाएं अतिरिक्त चीनी अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष दोनों तरह से हृदय रोग से जुड़ी हुई है। कुल कैलोरी में 20% से अधिक अतिरिक्त चीनी से प्राप्त आहार उच्च स्तर के ट्राइग्लिसराइड्स से जुड़े होते हैं, जो रक्त वसा का एक प्रकार है। उच्च ट्राइग्लिसराइड्स हृदय रोग के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं। भले ही आपका वजन पहले से ही स्वस्थ हो, लेकिन अपने अतिरिक्त चीनी के सेवन को कम करने से आपके रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को स्वस्थ स्तर पर रखने में मदद मिल सकती है। इससे हृदय रोग का जोखिम भी कम हो सकता है। डिप्रेशन करें कम हम जो खाते हैं, उसका असर हमारे मस्तिष्क के काम करने के तरीके पर पड़ सकता है, जिससे हमारे मूड पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, ताजे फल और सब्ज़ियाँ और साबुत अनाज जैसे खाद्य पदार्थ खाने से अवसाद के लक्षणों का जोखिम कम होता है। कई अध्ययनों ने यह भी सुझाव दिया है कि मीठे पेय पदार्थ अवसादग्रस्तता के लक्षणों और अवसाद के उच्च जोखिम से जुड़े हैं। हालांकि, अन्य अध्ययनों में चीनी के सेवन और अवसाद के जोखिम के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है। मुहांसे करें गायब बहुत ज़्यादा चीनी का मतलब है कि आप पूरे शरीर में सूजन और सीबम के उत्पादन में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं, जो एक तैलीय त्वचा पदार्थ है। बहुत ज़्यादा सीबम के कारण मुहांसे हो सकते हैं। अतिरिक्त चीनी का सेवन कम करने से आपकी त्वचा की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। चीनी और ग्रिल्ड, फ्राइड या रोस्टेड खाद्य पदार्थों में ऐसे पदार्थ हो सकते हैं जो आपकी त्वचा में कोलेजन और इलास्टिक फाइबर के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त शर्करा के बिना आपकी कुल कैलोरी सेवन कम हो जाती है ,जिससे वजन कम करने और उसे बनाए रखने में मदद मिलती है।अतिरिक्त शर्करा का अधिक सेवन अधिक वजन और मोटापे में योगदान देता है। मधुमेह के जोखिम को कम करता है अध्ययनों से पता चला है कि अधिक चीनी का सेवन – विशेष रूप से मीठे पेय पदार्थों का सेवन – टाइप 2 मधुमेह के विकास की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। इसका मुख्य कारण यह हैं कि जब लोग अतिरिक्त चीनी के रूप में बहुत अधिक कैलोरी का सेवन करते हैं तो उनका वजन बढ़ जाता है। अधिक वजन या मोटापे के कारण अक्सर रक्त शर्करा नियंत्रण और इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशीलता की समस्या होती है जो टाइप 2 मधुमेह का कारण बनती है। अतिरिक्त चीनी का सेवन कम करने से वजन को नियंत्रित करना और ब्लड शुगर कंट्रोल करना आसान हो जाता है, जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। अतिरिक्त चीनी चयापचय और हार्मोनल परिवर्तनों का कारण बनने वाले प्रभावों के चक्रीय प्रपात को बढ़ावा देने में मदद करती है जो मधुमेह के जोखिम को बढ़ाते हैं। चीनी की तलब कम होगी मीठे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का लगातार सेवन करने से तलब और भी बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीनी डोपामाइन के स्राव को सक्रिय करती है, जो मस्तिष्क के रिवॉर्ड सेंटर को उत्तेजित करता है, ठीक उसी तरह जैसे नशीली दवाएं मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इस वजह से, जब आप चीनी का सेवन बंद कर देते हैं तो कुछ दिनों के लिए सिरदर्द, चिंता और सामान्य से ज़्यादा चीनी की तलब जैसे हल्के वापसी के लक्षणों का अनुभव होना असामान्य नहीं है। हालांकि कुछ दिनों तक इसे सहन करें, और मीठे, उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों की तलब काफी कम होने लगेगी। दुष्प्रभावों को कम करने के लिए, अचानक से चीनी का सेवन बंद करने के बजाय धीरे-धीरे अतिरिक्त चीनी का सेवन कम करने पर विचार करें। भूख को कम हो करने में मदद लेप्टिन एक प्रमुख हार्मोन है जो भूख को नियंत्रित करता है। यह मस्तिष्क को बताता है कि कब खाना है, कब खाना बंद करना है और कब चयापचय को तेज या धीमा करना है। लेकिन जब आप मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध से पीड़ित होते हैं, तो शरीर इस संदेश के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाता है कि आपका पेट भर गया है। ग्लूकोज प्रबंधन में सुधार धीरे-धीरे शरीर में लेप्टिन गतिविधि को बहाल करता है, और अतिरिक्त शर्करा को कम करना ऐसा करने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। कैविटी से बचाता है आपने बचपन में तो सुना ही होगा- चीनी से दाँतों में सड़न होती है। जब ब्रश नहीं किया जाता या धोया नहीं जाता, तो आपके दाँतों पर मौजूद चीनी और अन्य कार्बोहाइड्रेट आपके मुँह में रहने वाले बैक्टीरिया के लिए भोजन बन जाते हैं, जो एक एसिड बनाते हैं जो इनेमल से खनिज निकालता है और अंततः छेद बना सकता है। सेब जैसे प्राकृतिक चीनी वाले खाद्य पदार्थ कैविटी से जुड़े नहीं होते, लेकिन बाकी पदार्थ चीनी से जुड़े होते हैं।

Zika Virus
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Zika Virus : क्या है यह नया वायरस, कैसे फैलता है शरीर में

Zika Virus : जीका वायरस रोग या जीका वायरस बुखार , जीका मच्छर जनित वायरस है, जो डेंगू बुखार, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस जैसा है। यह संक्रमण माइक्रोसेफली नामक जन्म दोष से जुड़ा है, जो गर्भवती होने के दौरान जीका से संक्रमित होने वाले लोगों से पैदा होने वाले शिशुओं को प्रभावित कर सकता है। ज़्यादातर मामलों में इसके कोई लक्षण नहीं होते । लेकिन कुछ मामलों में, ज़ीका पक्षाघात (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) को ट्रिगर कर सकता है। शुरुआत कहां से हुई? जीका वायरस मच्छर जनित वायरस है जिसकी पहली बार 1947 में युगांडा में रीसस मैकाक बंदर में पहचान की गई थी, उसके बाद 1950 के दशक में अन्य अफ्रीकी देशों में मनुष्यों में संक्रमण और बीमारी के सबूत मिले। 1960 से 1980 के दशक तक, अफ्रीका और एशिया में छिटपुट मानव संक्रमण का पता चला था। हालाँकि, 2007 से अफ्रीका, अमेरिका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में जीका वायरस रोग के प्रकोप दर्ज किए गए हैं। जीका वायरस रोग की पहचान अमेरिका के अधिकांश हिस्सों और अन्य क्षेत्रों में एडीज एजिप्टी मच्छरों के कारण हुई। 2017 के बाद से दुनिया भर में जीका वायरस रोग के मामलों में कमी आई है; हालाँकि, अमेरिका और अन्य स्थानिक क्षेत्रों में कई देशों में जीका वायरस का संक्रमण कम स्तर पर बना हुआ है। इसके अलावा, 2019 में यूरोप में मच्छरों द्वारा प्रसारित जीका वायरस रोग के पहले स्थानीय मामले सामने आए और 2021 में भारत में जीका वायरस के प्रकोप की गतिविधि का पता चला। आज तक, कुल 89 देशों और क्षेत्रों ने मच्छरों द्वारा प्रसारित जीका वायरस संक्रमण के सबूतों की सूचना दी है। Symptoms जीका वायरस से संक्रमित ज़्यादातर लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं। जिन लोगों में लक्षण विकसित होते हैं, उनमें संक्रमण के 3-14 दिन बाद लक्षण विकसित होते हैं, आमतौर पर हल्के होते हैं, जिनमें शरीर पर खुजली व दाने, बुखार,ठंड लगना ,पसीना आना,आंख आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं, और आमतौर पर 2-7 दिनों तक रहते हैं। ये लक्षण अन्य आर्बोवायरल और गैर-अर्बोवायरल बीमारियों में आम हैं; इसलिए, जीका वायरस संक्रमण के निदान के लिए प्रयोगशाला पुष्टि की आवश्यकता होती है। Treatment ज़ीका या इससे होने वाली परेशानियों का कोई इलाज नहीं है। ज़्यादातर लोगों में हल्के लक्षण होते हैं और वे अपने आप ठीक हो जाते हैं। यदि आप जीका वायरस रोग (जीका) के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। •जीका के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है। •आराम, तरल पदार्थ और ओवर-द-काउंटर दवाओं से कुछ लक्षणों से राहत मिल सकती है। Prevention जीका वायरस संक्रमण की रोकथाम या उपचार के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है। जीका वैक्सीन का विकास अनुसंधान का एक सक्रिय क्षेत्र बना हुआ है। लेकिन फिर भी घरेलू उपाय व बचाव करके इससे बचा जा सकता है। दिन और शाम के समय मच्छरों के काटने से बचाव जीका वायरस संक्रमण को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है, खासकर गर्भवती महिलाओं, प्रजनन आयु की महिलाओं और छोटे बच्चों में। व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों में कपड़े पहनना (अधिमानतः हल्के रंग का) शामिल है जो शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढकता है; खिड़की के पर्दे और बंद दरवाजे और खिड़कियों जैसे भौतिक अवरोधों का उपयोग करना; और त्वचा या कपड़ों पर कीट विकर्षक लगाना मच्छर के काटने को रोक सकता है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिन या शाम के समय सोते समय मच्छरदानी के नीचे सोना चाहिए। यात्रियों और प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों को मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए ऊपर दी गई समान सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे इस फैलती बीमारी से बचा जा सके।

Indoors plants
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Indoors plants : घर में लगाएं यह पौधे, खूबसूरती के साथ ही देंगे भरपूर ऑक्सीजन

Indoors plants : प्रकृति से जुडे रहने के लिए पौधों को अपना साथी बनाना , अपने जीवन में सकारात्मकता का संचार करने के लिए काफी बेहतर विकल्प है। तनाव एक ऐसी चीज है जिसका अनुभव हम सभी घर और ऑफिस दोनों जगह समय-समय पर करते हैं और कभी-कभी हमें इससे मुक्ति की आवश्यकता महसूस होती है। वैसे तो लोगों की आम जिंदगी के भागदौड़ में आराम करने और प्रकृति के बीच समय बिताने का मौका कम ही मिलता है , लेकिन अगर Indoor Plants का सहारा लिया जाए तो हम स्ट्रैस से छुटकारा पा सकते हैं । ऐसे 6 Indoor Plants जो आपको आपके जीवन में एक शांत वातावरण बनाए रखने में मदद करेंगे। Snake Plant इनडोर वायु गुणवत्ता को अच्छा साबित करने के लिए यह एक लोकप्रिय और प्रसिद्ध पौधा है। Snake Plant रात के समय विशेष रूप से कार्य करता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदल देता है , जिससे आपकी रात की नींद अच्छी हो सके। स्नेक प्लांट हवा में मौजूद रासायनिक कणों को भी सोख लेता है, जिससे आपकी समग्र सेहत में सुधार होता है। सुंदर, साँपनुमा, जंगल जैसे ये पौधे आपके घर की सजावट और समग्र सेहत के लिए एकदम सही हैं। Rosemary लैवेंडर की तरह रोज़मेरी भी एक भूमध्यसागरीय पौधा है जिसे धूप पसंद है और जिसे अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। रोज़मेरी , दूसरा सबसे लोकप्रिय और जड़ी बूटियों से युक्त पौधा है जो ध्यान केंद्रित करने और एकाग्रता बढ़ाने में काफी शक्तिशाली उपाय माना जाता है । इसकी सुंदरता और उपचार गुणों के लिए इसका इस्तेमाल घर, दफ्तर आदि में किया जाता है। Chrysanthemums flower गुलदाउदी के फूल विभिन्न किस्म के अलग अलग रंगो में खिलते हैं। यह फूल जहां कही भी खिलते है, उसे प्राकृतिक रूप से रोशन कर देते हैं। वे हमारे बगीचों और घरों में खुशी और शांति की भावना ला सकते हैं, जिससे चिंता और तनाव के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। इस फूल को हवा को शुद्ध करने के लिए भी अपनाया गया है। Devil’s Ivy इस पौधे को उगाना भी काफी आसान है। यह एक कम रखरखाव वाला पौधा है जो सभी परिस्थितियों में पनपता है। कई गुणों से युक्त यह पौधा एलर्जी और धूल और वायुजनित प्रदूषकों के जोखिम को कम करता है। पोथोस पौधे गंध, बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड और कार्बन मोनोऑक्साइड को अवशोषित करके आपके आस-पास की हवा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद करते हैं।हालाँकि सर्वोत्तम परिणामों के लिए, इसे उज्ज्वल अप्रत्यक्ष प्रकाश में रखें और केवल तभी पानी दें जब मिट्टी छूने पर सूखी हो।यह आपके कमरे की नमी को भी बढ़ा सकता है, आपको सर्दी और इन्फ्लूएंजा से बचाता है क्योंकि वायरस नम हवा में आसानी से नहीं फैल सकते हैं। Peace Lily पीस लिली सबसे आम घरेलू पौधों में से एक , पीस लिली अपने चमकीले सफेद फूलों और चमकीले हरे पत्तों के लिए जाना जाता है। कई घरेलू पौधों की तरह, वे बेहतरीन वायु शोधक हैं, जो विभिन्न वायु विषाक्त पदार्थों को छानते हैं और मोल्ड बीजाणुओं को सोखते हैं। शुरुआती लोगों के लिए बढ़िया, पीस लिली की देखभाल करना आसान है, साथ ही घर के चारों ओर स्टाइल करने पर यह बहुत अच्छी लगती है! Lavender लैवेंडर सबसे लोकप्रिय आवश्यक तेलों में से एक का स्रोत है। इसकी खुशबू काफी लोकप्रिय तथा तेज है। अपने बेडरूम में लैवेंडर का पौधा जरूर रखें। इसकी खुशबू आपके तनाव के स्तर को कम करने में मदद करेगी, जिससे आप बेहतर नींद ले सकेंगे।लैवेंडर की उपस्थिति नींद में सुधार करने और बेचैनी, चिंता, अवसाद और अनिद्रा को शांत करने में मदद करती है। लैवेंडर एक खूबसूरत जड़ी बूटी है जो मधुमक्खियों और तितलियों जैसे बहुत सारे परागणकों को आकर्षित करती है। यह अपनी सुकून देने वाली खुशबू के लिए काफी प्रसिद्ध है, एवं फायदेमंद साबित हो सकता है।

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