AI Herbal Medicine Treatment: आयुर्वेद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के समावेश से जड़ी-बूटियों से इलाज की दुनिया में एक नया मोड़ आएगा. देहरादून में आयोजित विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट किया कि AI के आने से आयुष चिकित्सकों का भविष्य प्रभावित नहीं होगा.
आपको बता दे कि इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि केंद्र सरकार आयुष क्षेत्र में डिजिटल ढांचे को विकसित करने पर काम कर रही है, जिससे सभी हितधारकों को लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार, हर व्यक्ति की प्रकृति अलग होती है.
AI व ML तकनीक स्वास्थ्य प्रोफाइल का विश्लेषण कर उपचार और आहार की सिफारिश कर सकते हैं. आईआईटी जोधपुर और आयुष मंत्रालय मिलकर एआई पर काम कर रहे हैं, जिससे बीमारी के निदान और इलाज को और प्रभावी बनाया जा सकेगा. इस सत्र में डॉ. प्रीति छाबड़ा और डॉ. राकेश नारायण ने भी अपने विचार साझा किए.
डिजिटल तकनीकी (AI Herbal Medicine Treatment)
डिजिटल तकनीकी के माध्यम से हर्बल उत्पादों की मार्केटिंग और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स आयुष उत्पादों को वैश्विक बाजार में लाने का नया अवसर प्रदान करेंगे. ई-संजीवनी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से आयुष विशेषज्ञ अब दूरस्थ क्षेत्रों में भी इलाज कर सकेंगे, जिससे अधिक लोगों तक पहुंच संभव हो पाएगी.
इसके अलावा, फिटनेस ट्रैकर्स और आयुर्वेदिक सिद्धांतों को जोड़कर, व्यक्ति को उनकी दिनचर्या, आहार और योगासनों के बारे में सटीक मार्गदर्शन दिया जा सकता है, जो उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा. इससे आयुष क्षेत्र को और भी विस्तार मिलेगा.
काम में तनाव कम करने की नई पहल
कोटेचा ने वाई-ब्रेक पहल पर चर्चा की, जो कर्मचारियों को काम के दौरान कुछ समय के लिए ब्रेक लेने का अवसर प्रदान करती है. इस पहल के दौरान, कर्मचारियों को योग मुद्राओं, सांस लेने की तकनीकों और ध्यान के माध्यम से तनाव कम करने की मदद दी जाती है.
कोटेचा ने बताया कि यह पहल पहले ही दस लाख से अधिक कर्मचारियों को आकर्षित कर चुकी है और इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं. वाई-ब्रेक कर्मचारियों को मानसिक शांति और ताजगी प्रदान करने के लिए एक प्रभावी उपाय बन चुकी है.