Poisonous Grass Allergy Risk: इस घास में छुपा है खतरनाक जहर, छूने से हो सकती है गंभीर एलर्जी
Poisonous Grass Allergy Risk: धरती पर लाखों प्रजातियों के पेड़-पौधे और घास पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ लाभकारी होते हैं तो कुछ खतरनाक. इन्हीं में से एक है गाजर घास (Parthenium hysterophorus), जिसे आमतौर पर “कांग्रेस घास” के नाम से भी जाना जाता है. यह घास न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि इंसानों और जानवरों के लिए भी बेहद खतरनाक मानी जाती है. यह घास सड़क किनारे, खाली प्लॉट्स और रेलवे ट्रैक के पास तेजी से उगती है और फैलने की क्षमता रखती है. अगर इसे समय पर हटाया न जाए तो यह बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है. गाजर घास का प्रभाव(Poisonous Grass Allergy Risk) गाजर घास किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ मानव जीवन और जानवरों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इस घास के संपर्क में आने से एलर्जी, खुजली, त्वचा रोग, और यहां तक कि अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इसमें मौजूद पारथेनिन रसायन के कारण यह जहरीली हो जाती है. इंसानों के अलावा, जानवर भी इस घास को नहीं खाते, जिससे यह उनके लिए भी हानिकारक साबित होती है. शरीर पर गाजर घास के दुष्प्रभाव गाजर घास के संपर्क में आने से त्वचा पर फफोले, खुजली और लाल चकत्ते जैसे लक्षण उभर सकते हैं. इसके अलावा, लंबे समय तक संपर्क में रहने से आंखों में जलन, दमा, जुकाम, और सांस संबंधी एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह घास फसलों के पोषक तत्वों को खत्म कर देती है, जिससे फसल उत्पादन में भारी कमी होती है. इसके साथ ही यह घास खेतों में तेजी से फैलती है, जिससे इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है. गाजर घास से बचाव के उपाय गाजर घास से बचने के लिए इसे जल्द से जल्द हटाना जरूरी है. खेतों में जैविक तरीकों से इसे नष्ट करना सबसे अच्छा विकल्प है. इसके लिए घास की पहचान कर उसे जड़ से हटाएं. एहतियात के तौर पर ग्लव्स और मास्क पहनकर काम करें ताकि इसके जहरीले प्रभाव से बचा जा सके. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि इस घास को जलाने के बजाय इसे सुरक्षित तरीके से नष्ट करें. साथ ही, खेतों की नियमित सफाई और घास को फैलने से रोकने के उपाय अपनाने से इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। गाजर घास(Parthenium hysterophorus) केवल एक जंगली घास नहीं है, बल्कि यह इंसानों, जानवरों और पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है. इसके खतरनाक प्रभावों को देखते हुए समय रहते इसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. यदि इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह न केवल हमारी फसल उत्पादन क्षमता को प्रभावित करेगा बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाएगा.