Herbal Medicine: हर्बल दवाओं से पाएं कई बीमारियों से छुटकारा, Heart Disease के लिए भी साबित होती हैं असरदार
Herbal Medicine: गैर संक्रामक रोगों, जैसे हृदय रोग, कैंसर, और स्ट्रोक, से मुकाबला करने के लिए हर्बल(Herbal) दवाएं एक प्रभावी उपाय साबित हो सकती हैं. यह बात तीन दिवसीय सातवीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई. इस सम्मेलन का आयोजन नृवंशविज्ञान के लिए सोसायटी(Society for Ethnopharmacology), केंद्रीय आयुष मंत्रालय और Biotechnology विभाग के सहयोग से हुआ. सम्मेलन में भारत और अन्य देशों के विशेषज्ञों ने हर्बल दवाओं के महत्व और उनके प्रभावी उपयोग पर गहराई से चर्चा की. विशेषज्ञों का मानना है कि जड़ी-बूटियों पर आधारित दवाएं गैर संक्रामक रोगों के उपचार में अहम भूमिका निभा सकती हैं, जिससे इन बीमारियों का इलाज सस्ता, सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से संभव हो सके. इस सम्मेलन में हर्बल उपचार के वैज्ञानिक पहलुओं और उनके सकारात्मक प्रभावों पर भी जोर दिया गया, जो भविष्य में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान हो सकते हैं. टोरंटो से आए डॉ. प्रदीप विसेन ने मधुमेह(diabetes) के टाइप-2 और कार्डियो वस्कुलर रोगों के इलाज में औषधीय पादपों की उपयोगिता पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि पहले हृदय रोग, कैंसर और diabetes जैसे रोग केवल संपन्न वर्ग से जुड़े होते थे, लेकिन अब ये वैश्विक खतरे के रूप में सामने आए हैं, और सबसे अधिक प्रभावित गरीब वर्ग हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, इन बीमारियों का प्रसार अब सभी देशों में बढ़ चुका है. इस सम्मेलन में डॉ. इक्षित शर्मा ने भी मधुमेह के इलाज में बीजीआर-34 दवा की भूमिका पर प्रकाश डाला. उनका कहना था कि यह औषधीय पादपों से बनी दवा रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करती है और Metabolis को भी बेहतर बनाती है. इस तरह की दवाएं न केवल रोगों के इलाज में मदद करती हैं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए भी लाभकारी साबित हो रही हैं. इस वजह से बढ़ता है आपका वजन बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सीतेश सी बचर ने अपने प्रजेंटेशन में बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति की कई दवाएं प्रभावी मानी जाती हैं, लेकिन इनमें कैंसर कारक तत्व होते हैं, जो लीवर को गंभीर क्षति पहुंचा सकते हैं. उन्होंने जड़ी-बूटियों में पाए गए प्राकृतिक तत्वों की प्रभावशीलता को रेखांकित किया, जो इन रोगों के इलाज में मददगार हो सकते हैं. वहीं, नाइजीरिया की taxocology यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. पीटर ओ एजबोना ने Cardiovascular रोगों में औषधीय पादपों के महत्व पर चर्चा की और उनके अध्ययन को जानवरों पर लागू किया. ऑस्ट्रेलिया में त्रिगोनेला लैब्स के निदेशक डॉ. दिलिप घोष ने मधुमेह के प्रबंधन में फेनुग्रीक बीज की भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका में जीआरएएस (सामान्य तौर पर सुरक्षित) का दर्जा प्राप्त है. इन शोधों ने यह साबित किया कि प्राकृतिक तत्वों से इलाज सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है.